लिख रही है नियति गाथा,
कदमों के कुछ निशान बना।
रख खुद पर भरोशा तू,
कुल ऊँचा, ऊँची शान बना।।
बदल दे अपनी दुनिया,
नई धरती नया आसमान बना।
अपनी अलग पहचान बना,
अपनी अलग पहचान बना।।

Prem Kumar
Hello!
I am Prem, Prem Kumar. I love to learn, read and know something new every day. I use leisure to learn new ideas. I believe in sharing is caring. Whatever I learn, read or know, I like to share with the common mass. Here is my website you can find my learnings and works. You can find how these learnings and works make my life wonderful and adventurous too. One of the smart ways to improve yourself that learn to live life as long as you have to live. This attitude of living life has improved me completely. Every new learning will give you a new idea and a new look at your life.
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व्यक्तिगत, व्यावसायिक और सामाजिक जीवन में संतुलन
ब्रह्मांड के संचालन से लेकर मानव शरीर के निर्माण व जीवन निर्वह्न में सामंजस्य का बहुत महत्व है। व्यक्ति के जीवन निर्वहन की प्रकृति उसके व्यक्तिगत आवश्यकताओं को जन्म देती है। व्यक्तिगत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए मनुष्य अपने ज्ञान और कौशल के अनुरूप व्यवसाय करता है, व्यवसाय उसे समाज से जुड़ने का अवसर देता है। एक ही व्यक्ति आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए व्यक्तिगत, व्यवसायिक और सामाजिक क्रियाकलापों को करता है इसलिए इनके बीच भी सामंजस्य होना अति आवश्यक है। सामंजस्य के अभाव में व्यक्ति तनाव से ग्रसित होता है जो उसके जीवन में उमंग को दुष्प्रभावित करता है।

बोकारो के रैयतों की दास्तां
बोकारो रैयतों व विस्थापितों की दास्तां वर्तमान की घटना: आज दिनांक 15 मार्च 2023, दिन बुधवार को प्रातः काल 4:00 से 5:00 के बीच हजारों की संख्या में RPF और पुलिस बल लेते हुए जिला प्रशासनिक अधिकारी, जिला प्रशासन के साथ बोकारो उत्तरी क्षेत्र, झारखण्ड के गांव धनघरी आती है। धनघरी एक मुस्लिम बहुल गांव

Ratan Tata Ko Asli Khushi Kab Mili – रतन टाटा को असली खुशी कब मिली
मैंने धीरे से अपने पैर को छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन बच्चे ने मुझे नहीं छोड़ा और उसने मेरे चेहरे को देखा और मेरे पैरों को और कसकर पकड़ लिया। मैं झुक गया और बच्चे से पूछा: क्या तुम्हें कुछ और चाहिए? तब उस बच्चे ने मुझे जो जवाब दिया

Vyapar Me Sthaniy Bhasha Ka Yogdan – व्यापार में स्थानीय भाषा का योगदान
संवाद के लिए स्थानीय भाषा का प्रयोग कुशल संवाद में अहम भूमिका निभाती है। हम सेवाओं की गुणवत्ता को उनके अंदाज में उन्हीं से साझा करते हैं।

Ummid Jinda Hai – उम्मीद ज़िंदा है
उम्मीद ज़िंदा है उम्मीद रूपी बीज और ज़ड़ को संघर्ष के पसीने से सिंचा जाये तो एक दिन ऐसा अवश्य आता है जब बीज बहुत ही विशाल वृक्ष का रूप धारण करता है। आप बहुत ही उदाहरण देखे, पढ़े या सुने होंगे। यहाँ पर उल्लेखित उदाहरण प्रकृति से ली गयी सच्ची घटना है। वर्ष

Ishq Likhun Ya Inqulaab – इश्क़ लिखूँ या इन्कलाब
इश्क़ लिखूँ या इन्कलाब झाँसी लिखूँ, मंगल लिखूँ और सुभाष लिखूँ,या शाहजहां और मुमताज लिखूँ,लिखूँ राँझा और हीर या फिरभगत, उद्यम, आज़ाद लिखूँ।लिखूँ गोरी के कंगन-काजल,या फिर जालिया वाला बाग लिखूँ।मेरी कलम मुझसे पूछ रही:इश्क लिखूँ या इन्क़लाब लिखूँ। मैं उलझ जाऊँ जिस्मों में,वादों और कसमों मेंक्या वो भोग विलास लिखूँ।या जो क्षण में रण

Apni alag pahchan bana – अपनी अलग पहचान बना
अपनी अलग पहचान बना… लिख रही है नियति गाथा, कदमों के कुछ निशान बना। रख खुद पे भरोसा तू, कुल , ऊंची शान बना। बदल दे अपनी दुनिया, नई धरती, नया आसमान बना, अपनी अलग पहचान बना। अपनी अलग पहचान बना। राह जो जग ने दिखाईतो चलने का क्या मतलब है?गैरों के शर्तों पर जियें,क्या